Sunday, July 7, 2019

काले काले मेघ नभ , धुंधला छुपता चाँद ।
टूट  गयी सखि सब्र की- सुदृढ़ प्रेमिल मांद।।
सुदृढ़ प्रेमिल मांद, भिगाती तन मन पावस।
तुम बिन सूनी सार, जिंदगी लागे मावस।।
लता कहे सुनिए जी, पड़े प्रेम के लाले।
बेगाने बन वादे तोड़ें, जितने देखे काले।।
    लता शैली सिंह
   जयपुर
   जयपुर



अरमान🌹

बिखरे हुए अरमान बहुत
टूटे हुए सामान भी बहुत
बहु को सम्मान न दे क्षण भर
बेटे की शादी का अरमान बहुत।
हर एक को जोड़े खुद से,
किनको छोड़े एहसान बहुत।
तपती धरती को करे शीतल,
बादल का अरमान बहुत।
माँ-बाप की इज्जत रखे ताक पर,
बेटी के विवाह के अरमान बहुत।

 निधि मद्धेशिया
कानपुर